आइए जानें, कब है नाग पंचमी, क्या है पूजा विधि व शुभ मुहूर्त, कथा सुनने के फायदे
सावन महीने में जिस तरह से भगवान शिव के पूजा का महत्व होता हैं, ठीक वैसे ही नाग देवता के पूजन का महत्व हैं| पौराणिक कथाओं के मुताबिक नाग पंचमी के दिन ही भगवान शिव ने नाग देवता को अपने गले में धारण किया था| इसलिए सावन माह की पंचमी को नाग पंचमी कहा जाता हैं और इस दिन नाग देवता के पूजन का विशेष महत्व होता हैं| ऐसे में आज हम आपको नाग पंचमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और नाग पंचमी के कथा सुनने के फायदे के बारे में बताने जा रहे हैं|
शुभ मुहूर्त
इस साल नाग पंचमी का त्यौहार 5 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा, नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करे का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 49 मिनट से 8 बजकर 28 मिनट तक हैं| पंचमी तिथि का आरंभ 4 अगस्त 6 बजकर 48 मिनट से होगा और पंचमी तिथि का समापन 5 अगस्त 3 बजकर 54 मिनट पर होगा|
पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती हैं, इस खास मौके पर लोग अपने घर के मुख्य द्वार पर नाग देव की आकृति बनाते हैं| इसके बाद अपने घर में नाग देव की प्रतिमा स्थापित करते हैं, प्रतिमा स्थापित करने के पश्चात नाग देव को फल, पुष्प के साथ पूजा-अर्चना करते हैं और फिर नाग देव को दूध चढ़ाते हैं, इस दिन खास कर नाग देव को दूध पिलाने का रिवाज हैं|
नाग पंचमी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक एक किसान के दो बेटे और एक पुत्री था| एक दिन किसान अपने खेत में हल चला रहा था, हल चलाते समय उसने हल से साँप के 3 बच्चे को रौंद दिया, जिससे साँप के बच्चे मर गए| नागिन अपने बच्चो की मृत्यु से काफी दुखी थी और उसने किसान से बदला लेने के लिए रात में किसान के दोनों बेटों और उसकी पत्नी को डस लिया, अगले दिन नागिन किसान की बेटी को ना डस सकी क्योंकि किसान की बेटी ने उसे मीठा दूध पिलाया था|
किसान की बेटी ने नागिन को देखा तो उसने अपने माता-पिता को माफ करने के प्रार्थना की, किसान की बेटी की बात सुनकर नागिन प्रसन्न हुयी और उसने उसके दोनों भाइयों और उसकी माँ को जीवन दान दिया और किसान की बेटी ने हर साल नाग पंचमी के दिन पूजा करने का वादा किया| ऐसा माना जाता हैं कि जो व्यक्ति नाग देवता की पूजा करता हैं उसकी सात पीढ़ियों की रक्षा नाग देवता करते हैं तथा नाग पंचमी की कथा सुनने से व्यक्ति का जीवन सुखमय हो जाता हैं|
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