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LIC पर “जीवन सरल पालिसी” के जरिये लोगों को ठगने का लगा आरोप, सुप्रीम कोर्ट में PIL

LIC पर “जीवन सरल पालिसी” के जरिये लोगों को ठगने का लगा आरोप, सुप्रीम कोर्ट में PIL

लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की मुश्किलें इन दिनों बढ़ती ही नजर आ रही हैं जिसके चलते एलआईसी सुर्खियों में छायी हुई हैं। दरअसल एलआईसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गयी है जिसमें लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया पर धोखाधड़ी और लोगों को ठगने का आरोप लगाया गया है। याचिका दाखिल होने से लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानि एलआईसी पर खतरा मडरा रहा है क्योंकि मनीलाइफ फाउंडेशन की ओर से एक पीआईएल दाखिल करके बाजार से जीवन सरल पॉलिसी बंद कराने की मांग की गई है, इन सबसे अब LIC की दिक्कतें और बढ़ती नजर आ रही है।

LIC पर “जीवन सरल पालिसी” के जरिये लोगों को ठगने का लगा आरोप, सुप्रीम कोर्ट में PIL

LIC पर लगा धोखाधड़ी का आरोप

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दाखिल की गयी है उसमें लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, LIC पर जीवन सरल पॉलिसी होल्डर्स के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगाया जा रहा है। याचिका में बताया गया है कि पॉलिसी होल्डर्स को भुगतान की रकम बहुत कम वापस मिलती है। यानि दस साल या उससे ज्यादा वक्त में पॉलिसी धारक जितने प्रीमियम का भुगतान करते हैं, उन्हें उससे आधे से भी कम रकम ही वापस मिल पाती है। ऐसे में लोगों का लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया से विश्वास उठता नजर आ रहा है। जीवन सरल पॉलिसी होल्डर्स के अंदर इस बात को लेकर काफी नारजगी देखने को मिल रही है।

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि पॉलिसी धारकों को निगेटिव रिटर्न मिल रहे हैं। बता दें कि इस स्कीम में उच्च आयु वर्ग वाले पॉलिसी धारकों को निगेटिव रिटर्न मिल रहे हैं और इस स्कीम के जरिए पॉलिसी होल्डर्स से 73 हजार करोड़ से लेकर 1 लाख करोड़ के बीच निवेश कराया गया है। बताया जा रहा है कि पॉलिसी को भ्रामक और त्रुटिपूर्ण प्रपोजल फॉर्म्स के साथ बेचा जा रहा है। इस तरह के आरोपों से जीवन सरल पॉलिसी होल्डर्स के साथ बहुत गलत हो रहा है क्योंकि इस पॉलिसी में ग्राहक निवेश के मकसद से पैसे लगा रहे हैं और उन्हें बदले में कुछ भी लाभ नहीं हो रहा है जिसके चलते अब LIC की छवि खराब हो रही है। अब इस मामले पर सुनवाई 15 जुलाई को होगी।

LIC पर “जीवन सरल पालिसी” के जरिये लोगों को ठगने का लगा आरोप, सुप्रीम कोर्ट में PIL

LIC नहीं दे रहा संतोषजनक जवाब

सूत्रों की माने तो आईआरडीए के पास सब अधिकार होते हुए भी वह कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है। मनीलाइफ की याचिका के मुताबिक, आईआरडीए के पास कथित अनियमितताओं की जांच करने के लिए पर्याप्त अधिकार हैं, लेकिन वो ‘LIC द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही ठगी’ के प्रति मूकदर्शक बना हुआ है। सीनियर एडवोकेट अरविंद दातर याचिकाकर्ता की ओर से जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच के समक्ष पेश हुए। इस याचिका में एलआईसी की जीवन सरल पॉलिसी को बाजार से तुरंत वापस लेने की मांग की गयी है और साथ में पॉलिसी मैच्योरिटी में बदलाव के लिए भी बोला गया है कि सभी ग्राहकों को 8 प्रतिशत के ब्याज दर के साथ पूरा प्रीमियम अमाउंट वापस किया जाए।

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