प्रधानमंत्री से लेकर बॉलीवुड स्टार्स भी उत्तराखंड के इन 5 मंदिरों में लेकर आते हैं अपनी मन्नत
भारत मंदिरों का देश कहा जाता है, हमारे देश में सैकड़ों प्राचीन मंदिर है जिनका इतिहास और आस्था के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत एक अरब से अधिक लोगों की धार्मिक मान्यताओं का देश है। हिन्दू धर्म में करोड़ो देवी-देवताओं को पूजा जाता है, हज़ारों साल बाद भी हिन्दू धर्म के लोगो की आस्था भगवान् के लिए बढ़ ही रही है। आज हम बात करेंगे उत्तराखंड की जो कि डेरों प्राचीन मंदिरों का स्थान है। उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता है, उत्तरखंड में स्तिथ केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए भक्तों आस्था को तो सभी जानते हैं, यहाँ पर देश की मशहूर हस्तियां और प्रधानमंत्री भी आशीर्वाद लेने पहुँच चुके हैं। लेकिन उत्तराखंड के पहाड़ों में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जहाँ पर लोग मीलों दूर से अपनी मनोकामना को पूरा करने की इच्छा को लेकर पहुँचते हैं। आइये आपको बताते हैं उत्तराखंड की पांच प्राचीन मंदिरों की जहाँ पर जाने से आपके मन की सभी मनोकामना पूरी होगी।
नैना देवी मंदिर
यह मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल में नैनी नदी के किनारे स्तिथ है। नैना देवी मंदिर की स्थापना के साथ कई पौराणिक कहानियां जुड़ी हुई हैं। प्राचीन कथाओं के अनुसार, देवी सती ने अपने पिता महाराज दक्ष के उनके पति भगवान् शिव को आमंत्रित न करने पर आवेश में आकर खुद को यज्ञ की अग्नि में जीवित जला दिया, जिससे भगवान शिव व्यथित हो गए। उन्होंने सती की लाश को अपने कंधे पर उठाया और अपना तांडव नृत्य शुरू किया। भगवान् शिव, देवी सती को लेकर पुरे विश्व में विचरण करने लगे। इसने स्वर्ग में सभी देवताओं को भयभीत कर दिया क्योंकि इससे प्रलय हो सकता है। इसने भगवान विष्णु से सती के शरीर को 51 टुकड़ों में काटने वाले चक्र को प्राप्त करने का आग्रह किया। देवी सती के सहरीर के टुकड़े 51 जगहों पर गिरें जिन्हे अब शक्तिपीठों के नाम से जाना जाता है। श्री नैना देवी मंदिर वह स्थान है जहाँ सती के नेत्र गिरे थे, यह मंदिर उन 51 शक्तिपीठों में से एक है।
केदारनाथ मंदिर
केदारनाथ का मंदिर भगवान् शिव का मंदिर है, यह मंदिर भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मंदाकिनी नदी के पास गढ़वाल हिमालय श्रृंखला पर स्थित है। यह मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्तिथ है। केदारनाथ मंदिर तीन दिशाओं से पहाड़ों से घिरा हुआ है। एक तरफ है करीब 22 हजार फुट ऊंचा केदारनाथ, दूसरी तरफ है 21 हजार 600 फुट ऊंचा खर्चकुंड और तीसरी तरफ है 22 हजार 700 फुट ऊंचा भरतकुंड। बस इतना ही नहीं ये स्थान 5 प्राचीन नदियों का संगम है जो कि मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी है। हालाँकि इन नदियों का अस्तित्व अब ख़तम हो चुका है। मौसम की स्थिति के कारण, यह मंदिर केवल अप्रैल और नवंबर के महीनों के बीच आम जनता के लिए खुला रहता है। सर्दियों के दौरान, केदारनाथ मंदिर से देवताओं को ऊखीमठ ले जाया जाता है और जहां अगले छह महीनों के लिए देवता की पूजा की जाती है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव भगवान् नारायण के कहने पर यहां रहने के लिए सहमत हुए थे। इसलिए केदारनाथ का महत्व कैलाश जितना माना जाता है। कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद, पांडव भाई, ऋषि व्यास की सलाह पर शिव से मिलने यहां आए थे, क्योंकि वे युद्ध के दौरान अपने परिजनों की हत्या के लिए क्षमा चाहते थे। भगवान् शिव ने पांडवों के अनुरूष पर भी उन्हें माफ़ नहीं किया और पहाड़ों में जा के छिप गए। जब पांडवों ने उन्हें ढूंढ निकाला तब शिव जी ने क्षमा कर दिया। पांडवो ने केदारनाथ मंदिर की स्थापना की।
बद्रीनाथ मंदिर
बद्रीनाथ धाम में भगवान् विष्णु को पूजा जाता है। यह मंदिर अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है और यह हिंदुओं के चार धामों में से एक है। बता दें कि बद्रीनाथ मंदिर में तीन भाग है गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभामण्डप। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां एक बार जाने से इंसान को जीवन मरण के चक्र से सदैव के लिए मुक्ति मिल जाती है। कुछ जनकथाओं के अनुसार, बद्रीनाथ मंदिर 8वीं शताब्दी तक एक बौद्ध मंदिर था और आदि शंकराचार्य ने इसे हिंदू मंदिर में बदल दिया। हिन्दू धर्म की मान्यता है कि भगवान विष्णु इसी स्थान पर ध्यान में बैठे थे। अपने ध्यान के दौरान, विष्णु ठंड के मौसम से से अनजान थे । उनकी पत्नी लक्ष्मी, ने उन्हें इस अवस्था में देख कर बद्री वृक्ष के रूप में संरक्षित किया था।
नीम करोली बाबा मंदिर
नीम किरौली धाम को कैंची धाम भी कहा जाता है, यह उत्तराखंड का एक ऐसा तीर्थस्थल है, जहां वर्षभर श्रद्धालुओ का तांता लगा रहता है। इस मंदिर की स्थापना नीम करोली बाबा ने की थी हनुमान जी का धरती पर दूसरा रूप कहा जाता है। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। नीम करोली की 1973 में मृत्यु के बाद से उनके भक्त और भी आस्था से इस मंदिर में पहुँचते है। इस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। अब तो यहाँ पर बाबा नीम करौली की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित कर दी गयी है। यहाँ पर यात्रियों के ठहरने के लिए एक सुन्दर धर्मशाला भी है। यहाँ पर देश-विदेश के आये लोग प्रकृति का आनन्द लेते हैं।
मुक्तेश्वर महादेव मंदिर
मुक्तेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव का मंदिर है, इसे मुकेसन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान् शिव का यह मंदिर शाहपुर कंडी डैम रोड के पास स्थित है। यह हिंदू धर्म का पवित्र मंदिर है, जहां भगवान गणेश, भगवान ब्रम्हा, भगवान विष्णु, भगवान हनुमान और देवी पार्वती की मूर्तियां मौजूद हैं। इस मंदिर के पास कई प्राचीन गुफाएं भी मौजूद हैं। यह मान्यता है कि यह गुफाएं 5500 साल पुरानी हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ये गुफाएं महाभारत जितनी पुरानी हैं। कहा जाता है अपने अगातवास के दौरान पांडव इन्ही गुफाओं में रहते थे। वे इन गुफाओं में छः महीने तक रहे थे, उसी दौरान उन्होंने भगवन शिव के इस मंदिर का निर्माण किया था।