वट सावित्री व्रत 2019: 3 जून को बन रहे हैं 3 बड़े महासंयोग, भूल से भी न करें ये काम
महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य प्राप्ति वाला व्रत वट सावित्री 3 जून को है। हिन्दू धर्म की महिलाएं वट सावित्री के व्रत को पति की लम्बी आयु और पुत्र प्राप्ति के लिए प्रतिवर्ष करती हैं। इस व्रत में वट वृक्ष या बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती है। इस व्रत की मान्यता है कि इसी तिथि पर पतिव्रता पत्नी सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणो की रक्षा यमराज से की थी। तभी से सभी हिन्दू स्त्रियां अपने पति के लिए उसी तिथि पर वट सावित्री का व्रत रखती हैं।
यह भी कहा जाता है कि महिलाएं इस व्रत का पालन करके अपने पति को आने वाले संकट से भी बचा सकती हैं। यह व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण शुक्ल पक्ष की तिथि पर मनाया जाता है। 3 जून को होने वाले सौभाग्य प्राप्ति के इस व्रत को करोड़ों महिलाएं करेंगी जिसका मुहूर्त सुबह 5 बजे से लेकर दोपहर 3:30 मिनट तक है। लेकिन बहुत से लोगों को यह नहीं पता होगा कि इस तिथि पर और भी बहुत से सयोंग है जिससे यह व्रत अत्यंत फलकारी सिद्ध होगा।
क्या है संयोग ?
वट सावित्री का व्रत 2019 में बहुत ही ख़ास माना जा रहा है। शास्त्रों की माने तो इस तिथि पर एक साथ बहुत से संयोग पड़ रहे है जिसके कारण इस व्रत का फल और प्रभाव अधिक रहेगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार साल 2019 में 3 जून को ज्येष्ठा अमावस्या है इसलिए यह दिन अतिमहत्वपूर्ण है। इस दिन वट सावित्री के व्रत के साथ सोमवती अमावस्या और शनि जयंती भी मनाई जाएगी। इसके अलावा इस दिन चंद्र आदि सर्वाध सिद्धि व त्रिग्रही योग का संयोग भी बनेगा।
जहां एक तरफ इस ख़ास दिन सर्वाध सिद्धि योग सूर्योदय से लेकर रात्रि यानि पूरे दिन होगा तो वहीं मिथुन राशि में मंगल, बुद्ध और राहु के कारण इनका त्रिग्रही योग बनेगा। ऐसा माना जा रहा है कि इन योगों में पूरे विधि-विधान के साथ पूजन और दान-पुण्य किया जाये तो इसके फलस्वरूप शनि महाराज की कृपा, संतान सुख में वृद्धि और सौभाग्य का वरदान प्राप्त किया ज सकता है।
शुभ मुहूर्त :
इस साल वैट सावित्री का व्रत 3 जून के दिन मनाया जायेगा। सोमवती अमावस्या 2 जून को सुबह 4 बजकर 40 मिनट से 3 जून दोपहर 3 बज कर बजकर 30 मिनट तक रहेगी।
पूजा की सामग्री:
वट सावित्री के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सोलह श्रृंगार के बाद व्रत का संकल्प लें और कलश स्थापना करें और इसके बाद पूजा की थाल तैयार कर लें। जिसमे गुड़, भीगा हुआ चना, मिठाई, कुमकुम, रोली, मोली,अक्षत, फल-फूल आदि पूजा से सम्बंधित सामग्री होनी चाहिए।
पूजन विधि:
इसके बाद वट वृक्ष के पास जाकर उस पर जल का अर्ग्य देकर प्रसाद चढ़ाएं और धूपदीप जला दें। मोली या फिर कच्चे धागे को हल्दी में रंगकर तीन, पांच या सात बार वट वृक्ष की में बांधते हुए परिक्रमा करें और साथ ही पति की लम्बी उम्र की कामना करें। घर आकर शाम के समय व्रत की कथा पढ़े और कथा के बाद चन्द्रमा को जल से अर्ग्य चढ़ाएं। इसके बाद भगवान का आशीर्वाद लेकर व्रत खोलना चाहिए।
ये शुभ कार्य करना न भूलें:
इस बार वट सावित्री पर बन रहे इस त्रिग्रही संयोग पर आगे बताये गए शुभ कार्य करने से व्यक्ति को सौभाग्य प्राप्ति के साथ संतान सुख और सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त हो सकता है। यदि इस दिन वैट सावित्री का व्रत रखने महिलाये वट वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु का पूजन करें तो उन्हें संतान-सुख मिल सकता है।
इस दिन सोमवती अमावस्या भी है तो यदि इस दिन तुलसी जी की 108 परिक्रमा की जाए तो इससे दरिद्रता दूर होती है। इसी तिथि पर शनि जयंती भी है इसलिए शनि पूजन करना इस दिन लाभकारी होगा। शनिदेव का इस दिन सरसों के तेल से अभिषेक करके यदि शनि मंत्र का जाप किया जाए तो इससे शनिदेव कृपा आपके ऊपर आ सकती है। शनि जयंती पर काले तिल, काली उरद और काला वस्त्र का दान करना भी शुभ होता है।