
बॉडी शेमिंग के बारे में बात करते समय रो पड़ी विद्या बालन, देखें वीडियो
महिला हो या पुरुष समाज में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो दूसरे लोगों पर उनके रंग या शरीर के आकार पर तंज़ कसते हैं। यह सब सदियों से होता चला आ रहा है। समाज में सुंदरता मापने के लिए धारणा है कि रंग गोरा होना चाइये और शरीर पतला। जो लोग सुंदरता के इस मापदंड के दायरे बाहर होते हैं उनकी बहुत आलोचना होती है। शारीरिक सुंदरता पर आधारित इसी आलोचना को आजकल की आम भाषा में ‘बॉडी शेमिंग’ कहते हैं। असल ज़िन्दगी में तो यह होता ही है लेकिन खासकर फिल्मो आने वाली अभिनेत्रियों को इसका सामना करना पड़ता है।
हाल में अभिनेत्री विद्या बालन बॉडी शेमिंग के खिलाफ आवाज़ उठायी है।
विद्या बालन जिन्हे अपने शरीर के प्रकार के लिए बहुत सी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। पहली बार इस विषय पर वह खुलकर सामने आयीं हैं। विद्या बालन ने वीडियो के ज़रिये लोगो तक अपनी बात पहुँचाने की कोशिश की है। इस वीडियो में विद्या ने हिंदी फिल्मो के गानों की सहायता से सन्देश लोगो तक पहुँचाया है। विद्या ने गाने की शुरुआत करते हुए कहा, “कभी तू मोटी कहता है, कभी तू छोटी कहता है….” यह बोलते हुए वह धीरे-धीरे भावनात्मक और उदास हो जाती है। वीडियो में वह अपने शरीर को छिपाने के लिए एक काले रंग की साड़ी में दुपट्टे के साथ लिपटी नजर आ रही हैं। वीडियो में आगे बात करते हुए विद्या भावुक हो जाती हैं और रोने लगती हैं।
वह इस बारे में आगे बात करती है कि कैसे किसी व्यक्ति के शरीर, आंखों, त्वचा की रंग और ऊंचाई पर चुटकुले बनाये जाते है और यह सारी बातें उसके जीवन पर स्थायी प्रभाव छोड़ जाती हैं। वह अंततः अपने काले और सफेद धारीदार साड़ी में आत्मविश्वास से खड़े हो कर अपने दुपट्टे को फेंक देती है और बालों को खुला छोड़ देती है। कहने की जरूरत नहीं है कि विद्या ने अपने इस सन्देश को लोगो तक बहुत अच्छी तरह पहुँचाया है। कुछ ही समय में यह वीडियो हैशटैग #DhunBadalKeTohDekho के साथ वायरल हो गया। न केवल उनके प्रशंसकों बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों ने उनके साहस और आत्मविश्वास के लिए उनकी सराहना की।
इसके पहले जब एक इंटरव्यू के दौरान उनसे इस बारे में पूछा गया था तब उन्होंने कहा था कि “मेरे शुरुआती दिनों में लोगों ने मेरे बारे में कई हतोत्साहित करने वाली बातें कही थीं, उन्होंने मुझे ‘मोटी’ कहा और मैंने कई बार बॉडी शेमिंग का सामना किया है। यह वास्तव में मेरे आत्मविश्वास को प्रभावित करता है। शारीरिक फिटनेस किसी व्यक्ति की प्रतिभा नापने का मापदंड नहीं होना चाहिए।