अक्षय तृतीया 2019: ये है अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा जाता हैं| यह हिन्दू धर्म के सभी त्यौहारों में से एक हैं| अक्षय का अर्थ होता हैं, जिसका कभी क्षय ना हो अर्थात जिसका फल नष्ट ना हो, इसलिए ऐसा माना जाता हैं कि इस दिन किए हुये दान, स्नान यज्ञ, जप इत्यादि सभी कर्मों का फल अनंत और अक्षय होता हैं, अर्थात यह कभी व्यर्थ नहीं जाता हैं| ऐसे में आइए जानते हैं कि अक्षय तृतीया की शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि के बारे में जानते हैं|
अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त
इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 7 मई, मंगलवार को मनाया जाएगा और अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 17 मिनट तक का होगा| इसके अलावा अक्षय तृतीया की तिथि मंगलवार के दिन 3 बजकर 17 मिनट पर प्रारम्भ होगी और अक्षय तृतीया की समाप्ती 8 मई, बुधवार को 2 बजकर 17 मिनट पर होगी| ऐसे में शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 6 घंटे 41 मिनट तक की हैं|
उपवास और पूजा विधि
अक्षय तृतीया के दिन विवाह, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा, व्यापार प्रारम्भ, मुंडन संस्कार इत्यादि के लिए बेहद शुभ माना जाता हैं| इतना ही नहीं कई लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं और ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन विधिवत पूजा किया जाए तो इसके निश्चित शुभ परिणाम मिलते हैं| ऐसे में आप इस दिन सुबह जल्दी उठे और स्नान कर, पीले वस्त्र धारण कर ले| अब घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को गंगाजल से स्नान कराकर तुलसी पत्र और पीले फूलों की माला से उनका शृंगार करे|
अब सभी पूजन सामग्री और भोग को विष्णु जी को अर्पित करे| अब विधिवत धूप-दीप जलाकर पीले आसन पर बैठ जाए और विष्णु जी की आराधना करे| अब विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु चालीसा का पाठ करे और अंत में विष्णु जी की आरती करे| ऐसी ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन भगवान विष्णु जी का ध्यान और उनके नाम से गरीबों को खाना खिलाना फलदायी होता हैं| पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस दिन नर-नारायण, परशुराम व हयग्रीव पृथ्वी पर अवतरित हुये थे|
अक्षय तृतीया 2019: 7 मई को इस मुहूर्त में खरीदेंगे सोना तो होगा लाभ, जानें इस दिन का क्या है महत्व
महत्व
अक्षय तृतीया एक ऐसी शुभ तिथि है जिसमें कोई भी शुभ कार्य सम्पन्न किए जा सकते हैं और कोई नयी वस्तु खरीदने हेतु शुभ मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं होती हैं| दरअसल इस दिन विवाह, गृह-प्रवेश जैसे शुभ कार्य भी बिना पंचांग देखे किये जा सकते हैं| इसके अलावा इस दिन पितृ पक्ष में किये गए पिंडदान का अक्षय परिणाम भी मिलता है| इतना ही नहीं इस दिन पूजा-पाठ और हवन इत्यादि भी अत्याधिक सुखद परिणाम देते हैं और यदि सच्चे मन से प्रभु से जाने-अनजाने में किए गया अपराधों के लिए क्षमा-याचना किया जाए तो प्रभु अपने भक्तों को क्षमा कर देते हैं और उन्हें सत्य, धर्म और न्याय की राह पर चलने की प्रेरणा प्रदान करते हैं|