आज है पौष पूर्णिमा, जानिए पूर्णिमा व्रत की विधि और महत्व
हमारे हिन्दू धर्म में पूर्णिमा व अमावस्या का अत्यधिक महत्व है क्योंकि अमावस्या को कृष्ण पक्ष तो पूर्णिमा को शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन होता है। लोग अपने-अपने तरीके से इन दिनों को मनाते भी हैं। पूर्णिमा यानि पूर्णो मा:। मास का अर्थ होता है चंद्र। अर्थात जिस दिन चंद्रमा का आकार पूर्ण होता है उस दिन को पूर्णिमा कहा जाता है। और जिस दिन चांद आसमान में बिल्कुल दिखाई न दे वह स्याह रात अमावस्या की होती है।शास्त्रों में मोक्ष की कामना पाने के लिए पौष माह की पूर्णिमा को बहुत ही शुभ माना जाता है। पौष पूर्णिमा के बाद ही माघ महीने की शुरूआत हो जाती है। साल 2018 में पौष पूर्णिमा 2 जनवरी को पड़ रही है। पौष पूर्णिमा के दिन ही शाकंभरी जयंती भी मनाई जाती है।
साल 2018 की यह पहली पूर्णिमा है । इस दिन कुछ खास उपाय करने का विधान है, ये उपाय कुछ इस प्रकार हैं।
पौष पूर्णिमा के दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान, दान व सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है।साथ ही इस दिन गरीबों को चावल दान करने से चन्द्र ग्रह शुभ फल देता है।
विशेष पूजन: प्रातः में विष्णु-सूर्य व सांझ में शिव-चंद्र का विधिवत पूजन करें।
पूर्णिमा के दिन मान्यता है की दिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, शहद व गंगाजल मिलकार चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते है। ऐसा करने से माता लक्ष्मी आप पर प्रसन्न होंगी और आप पर हमेशा अपनी कृपादृष्टि बनाए रखेंगी।
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आप पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों से बनाया हुआ तोरण अवश्य बांधे ये बहुत ही शुभ संकेत देता है।
अगर आप की कोई मनोकामना काफी दिनों से पूर्ण नहीं हो पा रही है तो अपनी कामना की पूर्ति के लिए आज के दिन ताम्र कलश में जला भरकर उसमे शक्कर व तिल मिलाकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें।
गौघृत का दीप करें, चंदन से धूप करें, सफ़ेद चंदन चढ़ाएं, सफ़ेद फूल चढ़ाएं, साबूदाने की खीर का भोग लगाकर 108 बार इन विशिष्ट मंत्रों का जप करें। इसके बाद खीर गरीबों में बाटें दे ऐसा करने से माता लक्ष्मी आप पर प्रसन्न होंगी और आप पर हमेशा अपनी कृपादृष्टि बनाए रखेंगी।
सूर्य पूजन मंत्र: ॐ आदित्याय नमः॥
हरि पूजन मंत्र: ॐ नमो नारायणाय॥
चंद्र पूजन मंत्र: ॐ सोमाय नमः॥
शिव पूजन मंत्र: ॐ नमो नीलकंठाय॥