भूमि पूजन मुहूर्त 2019, नीव पूजन की सम्पूर्ण विधि एवं महत्त्व
शास्त्रों में भूमि पूजन का बड़ा विधान है, भूमि से संबंधित कोई भी कार्य चाहे वो अपना घर बनाना हो या किसी इमारतों और रास्तों का निर्माण हो उसके लिए भी भूमि पूजन की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भूमि पूजन नहीं करने से निर्माण कार्य में अनेक तरह की बाधाएं आती हैं। आइए जानते हैं कि कैसे करते हैं भूमि पूजन तथा क्या है भूमि पूजन की विधि।
क्यों करते हैं भूमि पूजन
जब भी हम किसी नए भूमि पर किसी तरह का निर्माण कार्य शुरू किया जाता है तो सबसे पहले उस भूमि की पूजा की जाती है। माना जाता है कि अगर उस भूमि पर किसी तरह का दोष हो तो वहां भूमि पूजन करा देने से धरती मां प्रसन्न हो कर उस भूमि के सारे दोष नष्ट कर देती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं।
भूमि पूजन मुहूर्त 2019
बताते चलें की हिन्दू पंचांग के अनुसार नींव पूजन तथा भूमि पूजन हमेशा शुभ और उचित मुहूर्त में ही करवाना चाहिए क्योंकि सही मुहूर्त में भूमि पूजन करवाने से गृह निर्माण संबन्धित सभी कार्यों में बाधा नहीं आती है। मंदिर, जलाशय और घर बनाते समय नींव खोदते समय दिशा का विचार करना बहुत जरुरी होता है। बता दें की यदि घर बनवाना हो तो सिंह, कन्या और तुला राशि के जातकों के सूर्य में राहु का मुख ईशान-कोण में; वृश्चिक, धनु और मकर राशि के जातकों के सूर्य में राहु का मुख वायव्य-कोण में; कुंभ, मीन और मेष राशि के जातकों के सूर्य में राहु का मुख नैऋत्यकोण में तथा इसके अलावा वृष, मिथुन और कर्क राशि के सूर्य में राहु का मुख आग्नेय कोण में रहता है।
भूमि पूजन मुहूर्त, जनवरी 2019
3 जनवरी, 2019; गुरुवार अनुराधा त्रयोदशी
12 जनवरी, 2019; शनिवार पूर्वाभाद्रपद षष्ठी
18 जनवरी, 2019; शुक्रवार मृगशिरा द्वादशी
19 जनवरी, 2019; शनिवार मृगशिरा त्रयोदशी
21 जनवरी, 2019; सोमवार पुष्य पूर्णिमा
24 जनवरी, 2019; गुरुवार पूर्वाफाल्गुनी चतुर्थी
25 जनवरी, 2019; शुक्रवार उत्तराफाल्गुनी पंचमी
भूमि पूजन मुहूर्त, फरवरी 2019
7 फरवरी, 2019; गुरुवार शतभिषा द्वितीया
10 फरवरी, 2019; रविवार रेवती पंचमी
14 फरवरी, 2019; गुरुवार रोहिणी नवमी
15 फरवरी, 2019; शुक्रवार मृगशिरा दशमी
21 फरवरी, 2019; गुरुवार उत्तराफाल्गुनी द्वितीया
23 फरवरी, 2019; शनिवार चित्रा चतुर्थी
भूमि पूजन मुहूर्त, मार्च 2019
4 मार्च, 2019; सोमवार श्रवण त्रयोदशी
8 मार्च, 2019; शुक्रवार उत्तराभाद्रपद द्वितीया
13 मार्च, 2019; बुधवार रोहिणी सप्तमी
17 मार्च, 2019; रविवार पुष्य एकादशी
21 मार्च, 2019; गुरुवार उत्तराफाल्गुनी पूर्णिमा
भूमि पूजन मुहूर्त, अप्रैल 2019
17 अप्रैल, 2019; बुधवार उत्तराफाल्गुनी त्रयोदशी
19 अप्रैल, 2019; शुक्रवार चित्रा पूर्णिमा
20 अप्रैल, 2019; शनिवार स्वाती प्रतिपदा
26 अप्रैल, 2019; शुक्रवार उत्तराषाढ़ सप्तमी
29 अप्रैल, 2019; सोमवार शतभिषा दशमी
30 अप्रैल, 2019; मंगलवार शतभिषा एकादशी
भूमि पूजन मुहूर्त, मई 2019
11 मई, 2019; शनिवार पुष्य सप्तमी
16 मई, 2019; गुरुवार हस्त, चित्रा द्वादशी
23 मई, 2019; गुरुवार उत्तराषाढ़ पंचमी
27 मई, 2019; सोमवार शतभिषा अष्टमी
29 मई, 2019; बुधवार उत्तराभाद्रपद दशमी
30 मई, 2019; गुरुवार रेवती एकादशी
31 मई, 2019; शुक्रवार अश्विन द्वादशी
भूमि पूजन मुहूर्त, जून 2019
4 जून, 2019; मंगलवार मृगशिरा प्रतिपदा
7 जून, 2019; शुक्रवार पुष्य चतुर्थी
10 जून, 2019; सोमवार उत्तराफाल्गुनी अष्टमी
12 जून, 2019; बुधवार हस्त दशमी
14 जून, 2019; शुक्रवार स्वाती द्वादशी
23 जून, 2019; रविवार षष्ठी शतभिषा
भूमि पूजन मुहूर्त, अक्टूबर 2019
9 अक्टूबर, 2019; बुधवार धनिष्ठा एकादशी
18 अक्टूबर, 2019; शुक्रवार रोहिणी चतुर्थी
19 अक्टूबर, 2019; शनिवार मृगशिरा पंचमी
25 अक्टूबर, 2019; शुक्रवार उत्तराफाल्गुनी द्वादशी
26 अक्टूबर, 2019; शनिवार उत्तराफाल्गुनी त्रयोदशी
30 अक्टूबर, 2019; बुधवार अनुराधा तृतीया
भूमि पूजन मुहूर्त, नवंबर 2019
6 नवंबर, 2019; बुधवार धनिष्ठा शतभिषा नवमी
9 नवंबर, 2019; शनिवार उत्तराभाद्रपद द्वादशी
14 नवंबर, 2019; गुरुवार रोहिणी द्वितीया
15 नवंबर, 2019; शुक्रवार मृगशिरा तृतीया
18 नवंबर, 2019; सोमवार पुष्य षष्ठी
23 नवंबर, 2019; शनिवार हस्त, चित्रा द्वादशी
27 नवंबर 2019; बुधवार अनुराधा प्रतिपदा
भूमि पूजन मुहूर्त, दिसंबर 2019
2 दिसंबर, 2019; सोमवार धनिष्ठा षष्ठी
4 दिसंबर, 2019; बुधवार शतभिषा अष्टमी
12 दिसंबर, 2019; गुरुवार मृगशिरा पूर्णिमा
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भूमि पूजन सामग्री
- गंगाजल
- आम और पान के पत्ते
- फूल
- रोली
- चावल
- कलावा
- सूती कपड़ा – लाल
- कपूर
- देशी घी
- कलश
- फल
- दूर्वा
- नाग – नागिन का जोड़ा
- लौंग
- इलायची
- सुपारी
- धूप
- अगरबत्ती
- सिक्के
- हल्दी पाउडर
भूमि पूजन विधि
सबसे पहले सुबह उठ कर जिस भूमि का पूजन करना है वहां सफाई कर के शुद्ध कर लेनी चाहिए तथा इस पूजा के लिए किसी योग्य पंडित की मदद लेनी चाहिए। जब पूजा होना शुरू हो जाए तो पूजा कराने वाले पंडित को उत्तर की तरफ मुख कर पाल्थी मारकर बैठना चाहिए तथा जातक का मुख पूर्व की ओर होना चाहिए। यदि जातक शादीशुदा है तो उसकी बाईं तरफ उसकी अर्धांगिनी बैठेंगी। मंत्र के द्वारा शरीर ,स्थान और आसन कि शुद्धि करनी चाहिए। उसके बाद भगवान श्री गणेश की पूजा – अर्चना करनी चाहिए। भूमि पूजन में खास तौर से नाग तथा कलश कि पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार भूमि के नीचे पताल लोक है जिसके स्वामी भगवान विष्णु के सेवक शेषनाग हैं।
भूमि पूजन महत्व
माना जाता है कि शेषनाग अपने फन पर पूरे पृथ्वी को उठाए हुए हैं, शेषनाग की कृपा पाने के लिए लोग चांदी के नाग की पूजा करते हैं। मान्यता है कि जिस तरह से शेषनाग पूरी पृथ्वी को संभाले हुए हैं ठीक वैसे ही यह बनने वाले भवन की भी रक्षा करेंगे। मान्यता ये भी है कि जिस तरह से शेषनाग क्षीर सागर में रहते हैं तो वैसे ही कलश में दूध , दही , घी डालकर मंत्र के द्वारा शेषनाग का आवाह्न कराया जाता है ताकि उनका आशीर्वाद मिल जाए।
इस कलश में सिक्का और सुपारी डाला जाता है क्यूंकि ऐसा करने से लक्ष्मी और गणेश की प्राप्ति होती है। कलश को ब्रह्माण्ड का प्रतीक माना जाता है तथा उन्हें भगवान विष्णु का रूप मानकर उनसे आग्रह किया जाता है कि मां लक्ष्मी के साथ इस भूमि पर विराजमान हो। भूमि पूजन विधि सहित करवाना एकदम जरूरी होता है । अगर ऐसा नहीं करवाया गया तो निर्माण में विलम्ब , राजनीतिक , सामाजिक और दैविक बाधाएं उत्पन्न हो सकती है।