लाल चांद को देखकर आखिर क्यों चिल्लाते हैं भेड़िए, जानें क्या है इसके पीछे का सच
2019 का पहला ग्रहण 21 जनवरी को लगने वाला है ये ग्रहण, चन्द्र ग्रहण होगा। बता दें की इसे सुपर ब्लड वुल्फ मून या कई स्थानों पर ब्लड मून के नाम से भी जाना जाएगा। असल में साल 2019 में ये जो ग्रहण 20 और 21 जनवरी के बीच लगने वाला है ये तीन चरणों में लगेगा, ग्रहण के दौरान पूरा आसमान लाल रंग का हो जाएगा। इस चंद्र ग्रहण की पूरी प्रक्रिया को नासा के द्वारा मोस्ट डैजलिंग शो अर्थात सबसे ज्यादा चमकने वाला शो कहा गया है।
असल में बतया जा रहा है की इसका कारण यह है कि इस समय चांद पृथ्वी के सबसे ज्यादा नजदीक होगा इसी वजह से इसे सुपर ब्लड मून भी कहते हैं। ये ग्रहण भारत में अदृश्य रहेगा लेकिन मध्य प्रशांत महासागर, उत्तरी – दक्षिणी अमेरिका, यूरोप तथा अफ्रीका में दिखेगा। यह ग्रहण भारतीय समय के अनुसार रात 08:07:34 से लेकर अगले दिन 13:07:03 बजे तक रहेगा।
चांद होगा धरती के बहुत करीब
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अनुसार सुपर मून अथवा फूल मून पर चांद बाकी के दिनों की अपेक्षा धरती के सबसे करीब 3,63,000 किमी की दूरी पर होता है, चन्द्रमा से पृथ्वी की सर्वाधिक दूरी 4,05,000 किमी होता है।
क्यों कहा जाता है ब्लड मून
ग्रहण के समय सूर्य की किरणे धरती से हो कर चंद्रमा पर पड़ती हैं तो इस ग्रह की छाया पड़ने कि वजह से चंद्रमा का रंग ग्रहण के दौरान बदलने लग जाता है। नासा में हुए एक रिसर्च के अनुसार सुपर मून होने पर चंद्रमा सामान्य दिनों की अपेक्षा 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत और चमकदार हो जाता है। इस समय चंद्रमा बिल्कुल लाल तांबे कि भांति दिखने लगता है इसी कारण चंद्रमा को ब्लड मून भी कहा जाता है।
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सुपर ब्लड वुल्फ मून, भेड़िए निकलते हैं अलग तरह की आवाज
पुराने जमाने से ही किसी मौसम से संबंधित जानकारी के लिए भविष्यवाणी करने का तरीका अलग रहा है। अमेरिका की जनजाति इसे वुल्फ मून भी कहती हैं। असल में आपको बताते चलें की यहां की ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा की रोशनी में सभी भेड़िया भोजन की तलाश में चारों तरफ जोर जोर से आवाज लगाते हैं और इसी वजह से चंद्र ग्रहण को सुपर ब्लड वुल्फ मून भी कहा जाता है।