गोपाष्टमी के दिन करें गाय और गोविंद की पूजा, होगी सुख-समृद्धि में वृद्धि
गोपाष्टमी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं| इस साल गोपाष्टमी 16 नवंबर को मनाया जाएगा| इस दिन गाय और गोविंद को की आराधना करने से धन, सुख-समृद्धि में वृद्धि होती हैं| ऐसी मान्यता हैं कि इसी दिन पहली बार श्री कृष्ण भगवान ने पहली बार गाय चराई थी क्योंकि यशोदा माँ कभी भी श्री कृष्ण को प्रेमवश गाय चराने के लिए नहीं भेजा था|
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लेकिन एक दिन श्री कृष्ण जिद पर अड़ गए की वो गाय चराने जाएंगे| इस बात पर यशोदा माँ विवश हो गयी और उन्होने श्री कृष्ण को गाय चराने के लिए ऋषि शांडिल्य शुभ मुहूर्त निकलवाया और पूजन के लिए श्रीकृष्ण को गाय चराने के लिए भेजा, तभी से इस दिन गाय की पुजा की जाती हैं| गाय को लेकर ऐसी मान्यता हैं कि गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है। इसलिए गौ-पूजन से सभी देवता प्रसन्न होते हैं।
गाय का किया जाता है श्रृंगार
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में गाय और उसके बछड़े को नहलाकर तैयार कर उसका श्रृंगार किया जाता हैं और पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं| इसके अलावा अन्य आभूषण भी पहनाएं जाते हैं। आभूषणों के अलावा गौ माता के सिंग पर चुनरी का पट्टा बांधते हैं और इसके बाद गौ माता की परिक्रमा कर उन्हें बाहर ले जाया जाता हैं| गोपाष्टमी की शाम को जब गाय घर लौटती हैं, तब फिर से उनकी पूजा की जाती है और इस दिन खासतौर से गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाया जाता है।
लेकिन यदि किसी के घर में गाय नहीं हैं तो वो लोग गौशाला जाकर गाय की पूजा करते हैं और उन्हें गंगा जल, फूल चढ़ाते हैं और फिर दिया जलाकर गुड़ खिलाते है। गोपाष्टमी के दिन गौशाला में खाना और अन्य वस्तुओं का दान किया जाता हैं| दरअसल इस दिन को लेकर ऐसी मान्यता हैं कि जो इस दिन गाय के नीचे से निकलते हैं, उन्हें बड़ा पुण्य मिलता है। इस दिन गाय की पुजा करने वालों से श्री कृष्ण भगवान उससे प्रसन्न होते हैं|