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गुमनामी के अंधेरे में जीने को मजबूर हो चुकी हैं, अपने जमाने की हिट अभिनेत्री माला सिन्हा

गुमनामी के अंधेरे में जीने को मजबूर हो चुकी हैं, अपने जमाने की हिट अभिनेत्री माला सिन्हा

आजकल फिल्मों में काम करने वाले कलाकारों को सर्वगुण संपन्न माना जाता है। ऐसे में कई सारे कलाकार ऐसे भी हैं जो कि एक्टिंग के साथ साथ डांस और सिंगिंग में भी अपनी कलाकारी दिखाते हैं। जब हिन्दी सिनेमा की शुरुआत हुई थी तो ऐसे बहुत कम ही कलाकार थे जिनमें ये तीनों गुण हुआ करते थे।इन्हीं कलाकारों के बीच थी माला सिन्हा।

गुमनामी के अंधेरे में जीने को मजबूर हो चुकी हैं, अपने जमाने की हिट अभिनेत्री माला सिन्हा

माला सिन्हा को बचपन से ही सिंगिंग और एक्टिंग का बहुत शौक था। माला सिन्हा ने कभी फिल्म के लिए गाना तो नहीं गाया लेकिन उन्होंने स्टेज पर दर्शकों के सामने अपनी सिंगिंग की कला का प्रदर्शन किया है। और उन्हें बहुत सारी सराहना भी मिली।इनको भी उन्हीं कलाकारों में गिना जाता है जो कलाकार बॉलीवुड में बहुत समय तक टिके रहे और इसके साथ साथ अपनी एक अलग पहचान बनाई।

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माला सिन्हा पहले बंगला फिल्मों में काम करती थी उसके बाद वे हिंदी फिल्मों में अाई। इनकी पहली फिल्म “बादशाह” थीं।उसके बाद इन्होंने एक सौ से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है।जब शुरुआती दौर में माला सिन्हा को बॉलीवुड फिल्मों में देखा गया तो लोगों ने उनका चेहरा देख कर कहा कि ये नेपाली नैन नक्श जैसी दिखने वाली लड़की हिंदी फिल्मों में कैसे चल पाएगी? लेकिन जब उन्होंने इन सब के बावजूद भी सफलता हासिल की तो बोलने वाले के मुंह बंद हो गए।

गुमनामी के अंधेरे में जीने को मजबूर हो चुकी हैं, अपने जमाने की हिट अभिनेत्री माला सिन्हा

फिर कोई किसी प्रकार कि टिप्पणी नहीं करता था।माला सिन्हा का जन्म 11 नवंबर 1936 को कोलकाता में हुआ था।इनकी मां नेपाली और पिता बंगाली थे। माला सिन्हा अब 82 साल की हो गई हैं। इतनी उम्र हो जाने के बाद इन्हें सब भूल ही गए हैं । सच तो ये भी है कि जब साठ और सत्तर के दशक में किसी ऐसी कलाकार की जरूरत होती थी जिससे कि पर्दे पर हुस्न के साथ साथ हुनर की भी जरूरत हो तो ऐसे में माला सिन्हा ही एकमात्र थीं जिनको याद किया जाता था।

गुमनामी के अंधेरे में जीने को मजबूर हो चुकी हैं, अपने जमाने की हिट अभिनेत्री माला सिन्हा

गौरतलब है कि जीवन के इस मुकाम पर आने के बाद माला सिन्हा अब मुंबई में रहती हैं। अपना अधिकांशतः समय वो अपने घर में ही बीता देती हैं। आखिरी बार माला सिन्हा 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार समारोह में दर्शकों के बीच नजर अाई थीं।माला बहुत दिल से चाहती थीं कि उनकी बेटी प्रतिभा सिन्हा भी एक अभिनेत्री बनें लेकिन उनकी बेटी की नाकामयाबी ने उन्हें निराश कर दिया । धीरे धीरे वे सबसे दूर होती चली गई और अब मानों अज्ञातवास ही ले लिया हो।माला सिन्हा सबसे ज्यादा 1950 से 1970 के बीच काफी चर्चा में रहती थी।

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