
World Tourism Day 2025: जब काशी बोली – ‘आओ, खोजो खुद को’
हर साल 27 सितंबर को दुनिया भर में मनाया जाने वाला World Tourism Day केवल यात्राओं की खुशियाँ मनाने का अवसर नहीं, बल्कि यह सोचने का दिन है कि हमारी यात्राएँ किस तरह से दुनिया, समाज और पर्यावरण को प्रभावित करती हैं। 2025 का विषय है – “Tourism and Sustainable Transformation” (पर्यटन और सतत रूपांतरण)। यह थीम हमें याद दिलाती है कि पर्यटन केवल भीड़ और उपभोग तक सीमित न होकर स्थानीय समुदाय, संस्कृति और प्रकृति के संरक्षण का माध्यम भी होना चाहिए।
World Tourism Day: इतिहास और महत्व
World Tourism Day की शुरुआत 1980 में हुई थी। दरअसल, 27 सितंबर 1970 को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) के अध्यादेश अपनाए गए थे, उसी की याद में यह दिन चुना गया। तब से लेकर अब तक, यह दिवस पर्यटन को एक वैश्विक संवाद मंच बना चुका है। दुनिया के अलग-अलग कोनों में कार्यशालाएँ, प्रदर्शनियाँ, सांस्कृतिक आयोजन और पर्यावरणीय पहलें आयोजित होती हैं। संदेश साफ है – पर्यटन केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि बदलाव की शक्ति है।
बदलता पर्यटन: आज की चुनौतियाँ और अवसर
आज पर्यटन महज़ घूमने-फिरने का साधन नहीं, बल्कि अनुभव, संवाद और आत्मपरिवर्तन का जरिया है।
- सतत पर्यटन का बढ़ता रुझान: लोग अब पर्यावरण-संवेदनशील होटल, स्थानीय उद्यम और इको-फ्रेंडली यात्रा विकल्प चुन रहे हैं।
- संस्कृति आधारित अनुभव: एक रिपोर्ट बताती है कि 2025 में वाराणसी जैसे सांस्कृतिक-आध्यात्मिक स्थलों की खोज में 70% से अधिक वृद्धि हुई है।
- स्मार्ट कनेक्टिविटी: बेहतर सड़क, रेल और हवाई कनेक्शन ने यात्रा को और सुगम बना दिया है।
- भीड़ और दबाव: तीव्र वृद्धि के कारण ट्रैफ़िक जाम, प्रदूषण और संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है।
- सरकारी निवेश: राज्यों ने पर्यटन परियोजनाओं पर बड़े पैमाने पर निवेश शुरू किया है।
- क्षेत्रीय सहयोग: राज्यों द्वारा साझा रोड शो और अभियान चलाकर अंतर-क्षेत्रीय पर्यटन गलियारों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

वाराणसी: जब इतिहास और भविष्य मिले
वाराणसी, जिसे काशी और बनारस भी कहते हैं, भारत की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में सदियों से यात्रियों को आकर्षित करती रही है। परंपरागत रूप से तीर्थस्थल रही यह नगरी अब वैश्विक पर्यटन केंद्र बन चुकी है।
पर्यटन में अप्रत्याशित वृद्धि
- 2023 में लगभग 8.9 करोड़ पर्यटक यहाँ पहुँचे।
- 2024 में यह संख्या 11 करोड़ से अधिक हो गई।
- 2025 की पहली तिमाही में विदेशी पर्यटकों की संख्या 50% तक बढ़ गई।
- वाराणसी को 2025 में धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में दुनिया में दूसरा स्थान मिला।
अवसंरचना और परियोजनाएँ
- काशी रोपवे परियोजना: शहर के महत्वपूर्ण स्थानों को जोड़ने वाला 3.75 किमी लंबा रोपवे।
- मेरठ–वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस: अगस्त 2025 से शुरू होने वाली तेज़ ट्रेन सुविधा।
- गंगा घाटों का सौंदर्यीकरण: घाटों और मंदिरों की सफाई, प्रकाश व्यवस्था और बेहतर सुविधाएँ।
- स्वरवेद महामंदिर: 2023 में उद्घाटित यह मंदिर आज एक नया आध्यात्मिक आकर्षण है।
- अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम: दिसंबर 2025 तक बनकर तैयार होगा, खेल पर्यटन को नई दिशा देगा।
चुनौतियाँ
- पुराने हिस्सों में भीषण जाम और पार्किंग की समस्या।
- घाटों पर कचरा और प्रदूषण की बढ़ती समस्या।
- स्वच्छता और सुरक्षा सुविधाओं की अतिरिक्त आवश्यकता।
- स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने की चुनौती।
सकारात्मक पहल
- कबीर मठ में कलात्मक म्यूरल बनाकर उसे नया फोटो-पॉइंट बनाया गया।
- कई लंबित परियोजनाओं को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया।
- मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों ने वाराणसी में पर्यटन रोड शो आयोजित कर क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाया।
World Tourism Day पर काशी का संदेश: “आओ, खोजो खुद को”
वाराणसी की यात्रा केवल मंदिरों, घाटों या गलियों का दर्शन नहीं, बल्कि आत्मखोज का अनुभव भी है। यहाँ की सुबह की आरती, शाम का गंगा आरती, बनारसी साड़ी की बुनाई और ठेठ बनारसी पान – सब मिलकर यह सिखाते हैं कि यात्रा केवल बाहर की दुनिया देखने की नहीं, बल्कि अपने भीतर झाँकने की प्रक्रिया भी है।
यात्री के लिए संदेश
- स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें – बनारसी कारीगरों से साड़ी या धातु कला खरीदें।
- स्वच्छता बनाए रखें – घाटों और गलियों को प्रदूषित न करें।
- सतत यात्रा अपनाएँ – पैदल चलें, साइकिल या सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।
- सामुदायिक पर्यटन में भाग लें – होमस्टे, लोकल टूर और गाँवों का अनुभव लें।
World Tourism Day 2025 हमें यह याद दिलाता है कि हमारी यात्रा केवल हमारी नहीं, बल्कि उस धरती और समाज की भी है, जिस पर हम चलते हैं। इस साल का संदेश – “Tourism and Sustainable Transformation” – हमें सिखाता है कि हर यात्रा एक सकारात्मक विरासत बन सकती है।
वाराणसी इस बदलाव की जीवित मिसाल है – एक ऐसा शहर जो अतीत को संजोकर भविष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।
काशी आज हर यात्री से यही कह रही है –
“आओ, खोजो खुद को… क्योंकि यात्रा सिर्फ दुनिया देखने की नहीं, बल्कि आत्मा को पहचानने की भी होती है।”
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