Rape Case in India : भारत में नाबालिगों से बढ़ते जा रहे दुष्कर्म के आंकड़े, आखिर क्यों नहीं लग रही लगाम?
Rape Case In India : भारत (India) में दिन-प्रतिदिन नाबालिग बच्चियों (Minor Girls) से दुष्कर्म (Rape) और यौन शोषण के मामले लागातार बढ़ते जा रहे है। अभी हाल ही में नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (NCRB) की नई रिपोर्ट के अनुसार 2021 में 18 साल से ज़्यादा आयु की महिलाओं से दुष्कर्म (Rape) के 28,644 मामले दर्ज हुए, वहीं नाबालिग़ों से दुष्कर्म (Rape) की कुल 36,069 घटनाएं घटित हुई है। यह आकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। NCRB की रिपोर्ट के एनालिसिस के बाद एक एनजीओ (NGO) ने बताया कि भारत (India) में हर घंटे बच्चों के खिलाफ 17 अपराध (Crime) दर्ज किए गए हैं। यानी वर्ष, 2021 के दौरान 1,49,404 केस रजिस्टर्ड हुए। मतलब देश में हर दिन बच्चों के खिलाफ 409 अपराध हो रहे हैं, लेकिन सोचने वाली बात है कि आखिर ये आकड़े दिन-प्रतिदिन क्यों बढ़ते (Increase) जा रहे है, इसके पीछे का क्या कारण है, आखिर क्यों इन आकड़ों पर लगाम नहीं लगती दिख रही। इन सभी सवालों का जवाब बहुत जरुरी हो गया है। आइए कुछ तथ्यों के अनुसार इसे समझने की कोशिश करते है…
Rape Case in India : एक साल में बच्चों के खिलाफ क्राइम्स में इतनी प्रतिशत वृद्धि
CRY के एनालिसिस के अनुसार, 2021 में बच्चों के खिलाफ अपराधों (Crime) की संख्या में पिछले वर्ष (2020) की तुलना में चिंताजनक रूप से 16.2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष, 2020 में ऐसे 1,28,531 मामले दर्ज किए गए थे। इस एनालिसिस से यह भी पता चलता है कि वर्ष 2011 (33,098 मामले) और 2021 (1,49,404 मामले) के बीच एक दशक में बच्चों के खिलाफ अपराधों में 351 प्रतिशत की खतरनाक रूप से बड़ी वृद्धि हुई। 2011 में भारत (India) की जनसंख्या 121 करोड़ थी, जबकि 2021 के मध्य तक यही आंकड़ा 136.7 करोड़ था। यह आंकड़ा NCRB के हिसाब से है।
इन 36,069 घटनाओं का एक बड़ा हिस्सा प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसिस एक्ट (Protection of children from sexual) के तहत दर्ज हुआ जबकि बाकि मामले इंडियन पीनल कोड या भारतीय दंड संहिता की धारा (Section) के तहत दर्ज (Registered) किए गए।
बढ़ रहे यौन अपराध (Sexual offences)
NCRB-2021 के आंकड़ों के एनालिसिस से खुलासा होता है कि बच्चों, विशेष रूप से लड़कियों के खिलाफ यौन अपराध (Sexual offences) लगातार बढ़ रहे हैं। बच्चों के खिलाफ हर तीन अपराधों में से एक (53,874 मामले या 36.1 प्रतिशत) पॅाक्सो अधिनियम के तहत दर्ज होना है। क्राई (CRY) के अनुसार, बच्चों के खिलाफ अपराधों (Crime) के राज्यवार फैक्ट से पता चलता है कि मध्य प्रदेश (MP), महाराष्ट्र (Maharashtra), उत्तर प्रदेश (UP), पश्चिम बंगाल (West Bengal) और ओडिशा (Odisha) में भारत में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में से करीब आधे (47.4 फीसदी) हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले मध्य प्रदेश (MP) में 19,173 (12.8 फीसदी) दर्ज किए गए।
पिछले पांच साल के आँकड़े बताते हैं कि 18 साल से ज़्यादा उम्र की महिलाओं से दुष्कर्म (Rape Case in India) के मामलों की तुलना में नाबालिग़ों से दुष्कर्म की घटनाएं लगातार बढ़ती दिखी हैं
(ग्राफ देखें)
क्या हैं इन आँकड़ों के मायने?
एनसीआरबी (NCRB) की रिपोर्ट में प्रकाशित आँकड़ों को समझने के बारे में एक चेतावनी दी गई है। इसमें कहा गया है कि ये धारणा भ्रामक है कि आँकड़ों का ऊपर की ओर बढ़ना अपराध में वृद्धि की तरफ इशारा करता है और ये दिखाता है कि पुलिस (Police) प्रभावी नहीं है।
बता दें कि प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसिस एक्ट (POCSO) साल 2012 में लागू किया गया था जिसका मक़सद बच्चों को यौन उत्पीड़न और अश्लीलता से जुड़े अपराधों से बचाना है। इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को बच्चा माना गया है और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए कड़ी सजा का नियम है। ये कानून बच्चों के खिलाफ अपराधों को ‘जेंडर न्यूट्रल’ भी बनाता है जिसका मतलब है कि ये कानून लड़कियों और लड़कों दोनों के खिलाफ हुए अपराधों का संज्ञान लेता है।
‘आसानी से बच्चों की ऑनलाइन पहुँच
आजकल बच्चों की सोशल मीडिया (Social Media) तक पहुंच काफी आसान हो गई है। छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में फोन (Phone) और लैपटॅाप (Laptop) है। वहीं देखा जाए तो इसमें कहीं न कहीं माता-पिता की सक्रियता न होना भी बड़ा कारण है। बच्चे जिस तरह सोशल मीडिया (Social Media) पर एक्टिव (Active) है, दोस्त बनाते हैं उससे जुड़े कई तरह के मुद्दे हैं। तथ्य यह है कि हमारे बच्चे बहुत सारी संदिग्ध सामग्री और रिश्तों के संपर्क में आते हैं जो ऑनलाइन (online) शुरू होते हैं और अपमानजनक स्थितियों में बदल जाते हैं और बाद में परिणाम बहुत घाटक होता है। दुष्कर्म (Rape Case in India) के मामलों के बढ़ने के पीछे बच्चों की पॉर्नोग्राफी तक आसान पहुंच भी एक कारण हैं।
सहमति की उम्र का बढ़ाया जाना भी वजह?
वहीं सहमति की उम्र को 16 साल से बढाकर 18 साल कर देना भी पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हो रहे। दुष्कर्म के मामलों की संख्या बढ़ने की एक वजह हो सकती है। वे कहती हैं, “सहमति की उम्र बढ़ाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारत में बाल विवाह के मामले भी पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए जाने हैं. आज के समय में युवा सहमति से संबंध बना रहे हैं और बहुत से मामलों में युवाओं के बीच प्रेम संबंधों को माता-पिता अपराध के तौर पर रिपोर्ट कर देते हैं, तो इससे भी आँकड़े बढ़ते हैं।
चाइल्ड रेप के कुछ मामले पॉक्सो के तहत दर्ज क्यों नहीं हो रहे?
आँकड़ों को गौर से देखने पर ये पता चलता है कि जहां एक तरफ नाबालिग़ों से दुष्कर्म (Rape Case in India) के मामलों को पॉक्सो (POCSO) कानून के तहत दर्ज किया गया है। वहीं दूसरी तरफ ऐसे मामलों को आईपीसी की धारा 376 के तहत भी दर्ज किया गया है। साल 2021 में नाबालिग़ों से दुष्कर्म (Rape) की कुल 36,069 घटनाओं में से 33,036 मामले पॉक्सो के तहत दर्ज हुए और बाकी 3,033 मामले इंडियन पीनल कोड की धारा 376 के तहत दर्ज किए गए।
आईपीसी की धारा 376 के तहत नाबालिग़ों से दुष्कर्म (Rape) के मामले दर्ज करने पर कोई मनाही नहीं है लेकिन बहुत कुछ उस पर निर्भर करता है जो पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कर रहा है।
“पॉक्सो के लगने से केस बहुत मज़बूत हो जाता है, तो कई मामलों में ये सम्भावना भी रहती है कि शिकायतकर्ता के ज़ोर देने पर पॉक्सो लगा दिया जाए या आरोपी के प्रभाव के चलते पॉक्सो के प्रावधान न लगाए जाएं।
वहीं “पॉक्सो एक्ट में पहले मृत्यदंड नहीं था, अब इसमें मृत्युदंड का प्रावधान है और पॉक्सो की शब्दावली के मुताबिक जो उम्रकैद है वो दोषी की बची हुई ज़िन्दगी तक है। तो अगर पॉक्सो के तहत उम्रकैद हुई है तो दोषी ज़िंदा जेल से बाहर नहीं आएगा।
पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल?
अगर नाबालिग़ के साथ बलात्कार हुआ है और पॉक्सो एक्ट नहीं लगाया गया तो ये पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल है. पुलिस को इस बात का संज्ञान लेना होगा कि जब किसी बच्चे के साथ बलात्कार (Rape Case in India) होता है तो पॉक्सो एक्ट लगाना ज़रूरी है.”
साथ ही वे ये भी कहती हैं कि ज़्यादातर पुलिस थानों मे अधिकारियों को इतना ही पता होता है कि बलात्कार के मामले में आईपीसी की धारा 376 लगानी है. वे कहती हैं कि नाबालिग़ों से दुष्कर्म के मामले पॉक्सो एक्ट के तहत न दर्ज करने के लिए अक्सर अदालतों में पुलिस को फटकार सुननी पड़ती है। वहीं नाबालिग़ों से दुष्कर्म के मामलों में पॉक्सो एक्ट के लगाए जाने या न लगाए जाने में एक बहुत बड़ी भूमिका पुलिस की होती है.
अगर पुलिस ने ये कह दिया कि शिकायतकर्ता नाबालिग़ है तो पॉक्सो लग जाएगा। अगर पुलिस ने कह दिया कि उन्हें नहीं लगता कि शिकायतकर्ता नाबालिग़ है तो मुक़दमा आईपीसी की धारा 376 के तहत दर्ज होगा लेकिन जब अदालत उम्र की जाँच करवा लेगी और अगर साबित होगा कि शिकायतकर्ता नाबालिग़ है तब पॉक्सो की धाराओं को जोड़ा जायेगा।
और क्या बताते हैं आँकड़े?
नाबालिग़ों से बलात्कार अगर नाबालिग़ के साथ बलात्कार हुआ है और पॉक्सो एक्ट नहीं लगाया गया तो ये पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल है. पुलिस को इस बात का संज्ञान लेना होगा कि जब किसी बच्चे के साथ बलात्कार (Rape Case in India) होता है तो पॉक्सो एक्ट लगाना ज़रूरी है.” के वो मामले जो पॉक्सो कानून के तहत दर्ज किए गए उनमें सबसे ज़्यादा मामले मध्य प्रदेश (3,512 केस), महाराष्ट्र (3,480 केस), तमिलनाड (3,435 केस), उत्तर प्रदेश (2,747 केस), कर्नाटक (2,090 केस) और गुजरात (2,060 केस) से थे। वहीं कुछ ऐसे भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं जहाँ पॉक्सो एक्ट के तहत बलात्कार का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। इनमें गोवा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, चंडीगढ़ और लदाख शामिल हैं, लेकिन इन राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में भी आईपीसी की धारा 376 के तहत दुष्कर्म के कई मामले दर्ज हुए।
दिलचस्प ये भी है कि राजस्थान में पॉक्सो कानून के तहत दुष्कर्म अगर नाबालिग़ के साथ बलात्कार हुआ है और पॉक्सो एक्ट नहीं लगाया गया तो ये पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल है. पुलिस को इस बात का संज्ञान लेना होगा कि जब किसी बच्चे के साथ बलात्कार (Rape Case in India) होता है तो पॉक्सो एक्ट लगाना ज़रूरी है.” का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ लेकिन आईपीसी सेक्शन 376 के तहत दर्ज होने वाले सबसे ज़्यादा मामले (6,337 केस) इस राज्य में दर्ज हुए।