कुछ इस तरह सलाखों के पीछे पहुंचे चमत्कारी बाबा, जानेंं क्या है आसाराम बापू की पूरी कहानी
आज के समय में किस पर भरोसा किया जाए समझ में नहीं आता क्योंकि कुछ समय पहले ऐसी घटनाएँ हुयी हैं| जिसकी वजह से यह बात कहना पड़ रहा हैं| आजकल खासकर बाबाओं पर तो बिलकुल भरोसा नहीं कीया जा सकता हैं क्योंकि बाबाओं के भेष में ना जाने कौन अपराधी सफ़ेद चोला ओढ़कर बैठा हों| जी हाँ आप कुछ समय पहले के घटनाओ पर ध्यान दे तो आप पाएंगे की इस बात में कितनी सच्चाई हैं| आप उदाहरण स्वरूप आसाराम बापू को ले ले या फिर गुरमीत राम रहीम ये ऐसे बाबा हैं जिन्होने अच्छी तरीके से जनता के श्रद्धा का मज़ाक बनाया हैं|
इन बाबाओ के लाखो भक्त हैं परंतु जब इनके क्रीमनल रिकार्ड सामने आए तो मानो जनता का विश्वास बाबाओं पर से उठ गया| आसाराम बापू पर फैसले के दिन उनके समर्थक बड़ी संख्या में जोधपुर पहुंच सकते हैं। ऐसे में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस ने 30 अप्रैल तक जोधपुर में धारा 144 लागू करने की घोषणा कर दी है।सरकार फिर से उस घटना को नहीं दोहराना चाहती हैं जो की बाबा गुरमीत राम रहीम को सजा सुनाए जाने के बाद हरियाणा में हुई, उस तरह की घटना राजस्थान में हो|
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अप्रैल 1941 में पाकिस्तान के सिंध इलाके के बेरानी गांव में पैदा हुए आसाराम का असली नाम असुमल हरपलानी है। साठ के दशक में उन्होंने लीलाशाह को अपना आध्यात्मिक गुरु बनाया। बाद में लीलाशाह ने ही असुमल का नाम आसाराम रखा। 1972 में आसाराम ने अहमदाबाद से लगभग 10 किलोमीटर दूर मुटेरा कस्बे में साबरमती नदी के किनारे अपनी पहली कुटिया बनाई।
1972 से शुरू होता हैं आसाराम बापू का आध्यात्मिक खेल जो की गुजरात के अन्य शहरों से होता हुआ देश के अलग-अलग राज्यों में फैल गया। शुरु में गुजरात के ग्रामीण इलाकों से आने वाले गरीब, पिछड़े और आदिवासी समूहों को अपने ‘प्रवचनों, देसी दवाइयों और भजन कीर्तन’ की तिकड़ी परोस कर लुभाने वाले आसाराम का प्रभाव धीरे-धीरे राज्य के शहरी मध्यवर्गीय इलाकों में भी बढ़ने लगा। शुरूआत में गरीब लोगों को भोजन खिलाने से लेकर उनके लूटने तक का सफर शुरू हुआ|
आसाराम की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार आज दुनिया भर में उनके चार करोड़ अनुयायी हैं। इन राजनेताओ को लगा की आसाराम बापू से मिलने पर उनको एक अच्छा वोट बैंक मिलने की संभावना हैं| इसलिए हर राजनेता उनसे अपनी नजदीकीयां बढ़ाने लगे|। 1990 से लेकर 2000 के दशक तक उनके भक्तों की सूची में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लालकृष्ण आडवाणी और नितिन गडकरी जैसे दिग्गज नेता शामिल हो चुके थे।
इस सूची में दिग्विजय सिंह, कमल नाथ और मोतीलाल वोरा जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भी शामिल रहे। इसके अलावा शिवराज सिंह चौहान, उमा भारती, रमण सिंह, प्रेम कुमार धूमल और वसुंधरा राजे के नाम शामिल हैं। इन नेताओं में सबसे महत्वपूर्ण नाम भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है। आसाराम बापू के क्रीमीनल रिकार्ड सामने आने पर लगभग हर राजनीतिक दल के नेताओं ने उनसे दूरी बना ली।
2008 का मुटेरा आश्रम कांड
5 जुलाई 2008 को आसाराम के मुटेरा आश्रम के बाहर मौजूद साबरमती नदी के सूखे तल में 10 वर्षीय अभिषेक वाघेला और 11 वर्षीय दीपेश वाघेला के अध-जले शरीर विकृत अवस्था में बरामद हुए। अहमदाबाद में रहने वाले इन चचेरे भाइयों के अभिवावकों ने मृत्यु के कुछ ही दिन पहले उनका दाखिला आसाराम के ‘गुरुकुल’ नामक स्कूल में करवाया था। इस मामले की जांच के लिए तत्कालीन राज्य सरकार ने डीके त्रिवेदी कमीशन का गठन किया था| लेकिन इस कमीशन के जांच के नतीजे आज तक सार्वजनिक नहीं किए गए। इस बीच 2012 में राज्य पुलिस ने मुटेरा आश्रम के 7 कर्मचारियों पर गैर-इरादतन हत्या के आरोप तय किए। इस मामले की सुनवाई फिलहाल अहमदाबाद के सत्र न्यायालय में जारी है।
जोधपुर मामला
अगस्त 2013 में आसाराम के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करवाने वाला शाहजहांपुर निवासी पीड़िता का पूरा परिवार घटना से पहले तक आसाराम का कट्टर भक्त था। पीड़िता के पिता ने अपने खर्चे पर शाहजहांपुर में आसाराम का आश्रम बनवाया था। “संस्कारवान शिक्षा” की उम्मीद में उन्होंने अपने दो बच्चों को आसाराम के छिंदवाडा स्थित गुरुकुल में पढ़ने के लिए भेजा था। 7 अगस्त 2013 को पीड़िता के पिता को छिंदवाडा गुरुकुल से एक फोन आया। फोन पर उन्हें बताया गया कि उनकी 16 वर्षीय बेटी बीमार है।
14 अगस्त को पीड़िता का परिवार आसाराम से मिलने उनके जोधपुर आश्रम पहुंचा। मुकदमे में दायर चार्जशीट के अनुसार आसाराम ने 15 अगस्त की शाम 16 वर्षीय पीड़िता को ठीक करने के बहाने से अपनी कुटिया में बुलाकर बलात्कार किया। पीड़िता के परिवार की मानें तो उनके लिए यह घटना उनके भगवान के भक्षक में बदल जाने जैसी ही थी।
गवाहों की हत्या का मामला
28 फरवरी 2014 की सुबह आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली सूरत निवासी दो बहनों में से एक के पति पर सूरत शहर में ही जानलेवा हमला हुआ| अगला हमला राकेश पटेल नामक वीडियोग्राफर पर हुआ। कुछ दिनों बाद ही दिनेश भगनानी नामक तीसरे गवाह पर सूरत के कपड़ा बाजार में तेजाब फेंका गया। यह तीनों गवाह खुद पर हुए इन जानलेवा हमलों के बाद भी बच गए। इसके बाद निजी सचिव के तौर पर काम कर चुके अमृत प्रजापति पर चौथा हमला किया गया।
आसाराम के पक्ष में लड़ने वाले वकील
आसाराम के पक्ष में लड़ने वाले वकीलों में राम जेठमलानी, राजू रामचंद्रन, सुब्रमण्यम स्वामी, सिद्धार्थ लूथरा, सलमान खुर्शीद, केटीएस तुलसी और यूयू ललित जैसे नाम शामिल हैं। आज तक अलग-अलग अदालतों ने आसाराम की जमानत की अर्जियां कुल 11 बार खारिज की हैं। अब देखना यह की अदालत आसाराम बापू पर क्या फैसला लेती है? उम्मीद तो यही की जा सकती हैं की पीड़िता को न्याय मिले|