क्या महिलाओं को उनके घरेलू कामकाज के लिए मेहताना मिलना चाहिए? यदि हाँ, यो कितना!
Nari Desk | भारत में हर घर में आपको ऐसी महिलाएं मिल जाएंगी, जो रोजाना अपने घर में 7 से 8 घंटे कार्य करती रहती हैं और उन्हें इस कार्य के बदले कोई भी वेतन नहीं दिया जाता है। अगर महिलाएं चाहे तो कहीं बाहर जाकर भी काम कर सकती है लेकिन अगर वह फिर से घर लौटती है तो उन्हें वह काम करना ही होगा, जो वह घर पर छोड़ कर गई हुई है। तो यह नियम कहां तक सही है कि घर पर सिर्फ महिलाएं काम करें, आखिर उनकी भी जिंदगी है और वह भी बाहर काम करना चाहती है। महिलाओं को शादी के बाद घर की नौकरानी बना देना कहां तक सही है?
महिलाओं के लिए सरकार ला सकती है कानून
काफी समय से भारत सरकार ऐसी महिलाओं के लिए कानून लाने की तैयारी कर रही है जो अपने घर पर दिन रात बिना वेतन के कार्य करती रहती है। जो महिलाएं घर से बाहर काम करती है और फिर घर लौटती हैं उन्हें भी दोबारा से घर पर कार्य करना पड़ता है ऐसी महिलाओं को अगर उनकी मेहनत का कुछ वेतन दिया जाए तो इससे उन्हें काफी हद तक मदद मिल सकती है।
सरकार कामकाजी महिलाओं को उनका मुआवजा देने के लिए पहले भी कई नियम लागू कर चुकी है लेकिन वह नियम केवल उनकी मृत्यु के बाद ही लागू होते हैं। ऐसे में कई बार सवाल उठ चुके हैं कि महिलाओं के जीवित रहने पर उन्हें मुआवजा क्यों नहीं दिया जाता है? जिस तरह से महिलाएं घर पर कार्य करती है उनका अनुमानित वेतन 4000 से लेकर 9 हजार तक बताया गया है।
वैसे अगर महिलाएं घर पर कार्य नहीं करेगी तो ऐसे समय में घर को कौन संभालेगा? इसलिए अगर महिलाएं यह कार्य कर रही है तो उन्हें इसके लिए मुआवजा या किसी तरह की सब्सिडी देना बहुत ही जरूरी है। शादी के बाद किसी महिला का घर में बिना वेतन के काम काज करना कहां तक सही है अगर सभी लोग चाहे तो उन्हें बाहर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
महिलाओं को आगे बढ़ाया जाना चाहिए उन्हें बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ऐसा तभी किया जा सकता है जब उन्हें उनके किए गए कार्य पर मुआवजा या किसी तरह की सेवा दी जा सके। सरकार लगातार घरेलू कामकाजी महिलाओं के लिए कोई बेहतर कानून निकालने की तैयारी में लगी हुई है।