‘फेक न्यूज’ पर पत्रकार की मान्यता रद्द करने वाले फैसले को पीएमओ ने दिया वापस लेने का आदेश
पत्रकार को लोग हमेशा सम्मान के नजरियें से देखते है और उन पर हम काफी भरोसा भी करते है। एक पत्रकार ही हमारे समाज का आइना होता है, जो अपने कलम के माध्यम से समाज को सुधरने का प्रयत्न भी करता है। उनके द्वारा दिए गए न्यूज को हम हमेशा सच मान लेते है लेकिन कुछ न्यूज ऐसे भी होते है, जो पूरी तरह से फेक होते है। इन्ही फेक न्यूज के चलते सरकार ने पत्रकारों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देश दिए है। तो चलिए आपको बताते है उन निर्देशों के बारे में –
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यदि आप भी एक पत्रकार है तो आप भी थोड़ा सावधान हो जाइए क्योकि कोई पत्रकार अगर फेक न्यूज देता है या उसे प्रचारित करता पाया जाता है तो उसकी मान्यता हमेशा के लिए रद्द की जा सकती है। मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए संशोधित दिशानिर्देशों में यह व्यवस्था की गई है। सरकार की ओर से कहा गया है कि पहली बार फेक न्यूज के प्रकाशन अथवा प्रसारण की पुष्टि होने पर मान्यता प्राप्त पत्रकार की मान्यता छह माह के लिए निलंबित की जाएगी और दूसरी बार ऐसा होने पर यह कार्रवाई एक साल के लिए हो सकती है। लेकिन तीसरी गलती पर मान्यता प्राप्त पत्रकारों की मान्यता हमेशा के लिए रद्द कर दी जाएगी।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के नए दिशानिर्देशों को माने तो प्रिंट मीडिया से संबंधित फेक न्यूज की शिकायत को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबंधित शिकायत को न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन को भेजा जाएगा। जिसके बाद दोनों संस्थाएं यह तय करेंगी कि जिस खबर के बारे में शिकायत की गई है, वह फेक न्यूज है या नहीं। दोनों को यह जांच 15 दिन में पूरी करनी होगी। एक बार शिकायत दर्ज कर लिए जाने के बाद आरोपी पत्रकार की मान्यता जांच के दौरान भी निलंबित रहेगी।
#FLASH: Prime Minister has directed that the press release regarding fake news be withdrawn and the matter should only be addressed in Press Council of India. pic.twitter.com/KVUBeAoDhC
— ANI (@ANI) April 3, 2018
लेकिन वहीं अब फेक न्यूज करने पर पत्रकारों की मान्यता रद्द करने के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फैसले को पीएमओ ने वापस लेने को कहा है। पीएमओ ने पूरे मामले में दखल देते हुए स्मृति इरानी के मंत्रालय से कहा कि फेक न्यूज को लेकर जारी की गई प्रेस रिलीज को वापस लिया जाना चाहिए। पीएमओ ने कहा कि यह पूरा मसला प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और प्रेस संगठनों पर छोड़ देना चाहिए। पीएमओ ने कहा कि ऐसे मामलों में सिर्फ प्रेस काउंसिल को ही सुनवाई का अधिकार है।